लोगों की राय

नाटक-एकाँकी >> नदी प्यासी थी

नदी प्यासी थी

धर्मवीर भारती

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :102
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16680
आईएसबीएन :9788119014040

Like this Hindi book 0

साहित्य जगत के सुप्रसिद्ध-सुप्रतिष्ठित साहित्यकार, चिन्तक एवं साहित्य-मनीषी डॉ. धर्मवीर भारती ने विपुल परिमाण में साहित्य रचकर अपनी एक ख़ास जगह बना ली है, इसमें अतिशयोक्ति जैसा कुछ शायद ही किसी को लगे। अतः निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि उनकी प्रत्येक रचना ने लोकप्रियता के उच्चतम शिखर को छुआ है ।

भारती जी ने उपन्यास, कहानी, नाटक, कविता में खुद की जी हुई, भोगी हुई, अनुभूत की हुई तथा अपने इर्द-गिर्द की ज़िन्दगी को ही चित्रित किया है। साहित्यकाश में उनका पूरा साहित्य ध्रुवतारे की तरह चिरकाल तक देदीप्यमान एवं कान्तिमान रहेगा।

नदी प्यासी थी धर्मवीर भारती के पाँच मौलिक नाटकों- नदी प्यासी थी, नीली झील, आवाज़ का नीलाम, संगमरमर पर एक रात, सृष्टि का आख़िरी आदमी – का संग्रह है जो पठनीयता तथा मंचन दोनों दृष्टि से अन्तर्मन को गहरे तक छू लेता है। भारती जी की इस कृति को भी पाठकों का पूर्ववत् प्रेम प्राप्त होगा, ऐसी आशा है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book